Chaurasi Temple: एक ऐसा मंदिर जिसके अंदर जाने से डरते है लोग! चंबा भरमौर में स्थित है ये जगहे, पढ़े इसका रहस्य
- By Sheena --
- Friday, 12 May, 2023
Chaurasi Temple Where People Afraid Away From Entering Placed Chamba Bharmour
Chaurasi Temple: दुनिया का एकमात्र धर्मराज महाराज या मृत्यु के देवता का मंदिर हिमाचल प्रदेश के आदिवासी भरमौर जिले में स्थित मंदिरों के चौरासी समूह में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना के संबंध में सही जानकारी किसी के पास नहीं है। केवल इतना ही आवश्यक है कि चंबा रियासत के राजा मेरु वर्मन ने छठी शताब्दी में इस मंदिर की सीढ़ियों को नया बनवाया था। इसके अलावा इस मंदिर की स्थापना के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। मान्यता है कि धर्मराज महाराज की मृत्यु के बाद चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक, सभी को इस मंदिर में जाना पड़ता है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है।
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चित्रगुप्त का रहस्य
चित्रगुप्त आत्मा के कर्मों का हिसाब रखता है। मान्यता है कि जब किसी जीव की मृत्यु होती है तो धर्मराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं। मंदिर के पुजारी लक्ष्मण दत्त शर्मा बताते हैं कि सदियों पहले चौरासी मंदिर समूह का यह मंदिर झाड़ियों से घिरा हुआ था और दिन में भी कोई यहां आने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। मंदिर के ठीक सामने चित्रगुप्त का दरबार है और यहां आत्मा के उल्टे पैर भी दिखाए गए हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां ढाई पौधे भी हैं। ऐसा माना जाता है कि अप्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में शवों को यहां समर्पित किया जाता है। इसके साथ ही परिसर में वैतरणी नदी भी है, जहां गाय का दान किया जाता है। इसके अलावा ढाई सौ साल से धर्मराज मंदिर के अंदर अखंड धूना भी लगातार जल रहा है।
चित्रगुप्त एक खाली कमरे में रहते हैं
इस मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो आत्मा के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।मान्यता है कि जब किसी की मृत्यु होती है तो यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर सबसे पहले इसी मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं।
कर्मों का पूरा विवरण दिया गया है
चित्रगुप्त आत्मा के कर्मों का पूरा विवरण देते हैं। इसके बाद आत्मा को चित्रगुप्त के सामने वाले कमरे में ले जाया जाता है। इस कमरे को यमराज का दरबार कहा जाता है। यहां यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना निर्णय बताते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं जो सोने, चांदी, तांबे और लोहे से बने हैं। यमराज के निर्णय के बाद यमदूत अपने कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से आत्मा को स्वर्ग या नर्क ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चारों दिशाओं में चार द्वारों का उल्लेख है।
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लोग हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर चलते हैं
चंबा जिले के भरमौर नामक स्थान पर स्थित इस मंदिर के बारे में कुछ बेहद अनोखी मान्यताएं प्रचलित हैं। मंदिर के पास पहुंचकर भी कई लोग मंदिर में प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा पाते हैं। वे हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर जाते हैं। यह धर्मराज (यमराज) को समर्पित दुनिया का एकमात्र मंदिर है।
भरमौर कैसे पहुंचे
यह मंदिर भरमौर के चौरासी मंदिर परिसर में मौजूद है। यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले चंबा पहुंचना होगा। आप निजी वाहन या बस द्वारा चंबा से 60 किमी की दूरी पर भरमौर पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है। जहां से चंबा की दूरी 120 किलोमीटर है।